लोगों की राय

गीता प्रेस, गोरखपुर >> अमृत के घूँट

अमृत के घूँट

रामचरण महेन्द्र

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :185
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5984
आईएसबीएन :81-293-0130-X

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

341 पाठक हैं

प्रस्तुत है पुस्तक अमृत के घूँट.....

हिंदू-देवताओंके विचित्र वाहन, देश और चरित्र

हिदूधर्म बड़े वैज्ञानिक सूक्ष्म आधारोंपर खड़ा किया गया है। इसमें जिन देवी-देवताओंकी मान्यता है, उनके जो वेश, वाहन और चरित्र है, वे सब मनोवैज्ञानिक तत्त्वोंसे परिपूर्ण है। हिंदू तत्त्वदर्शी सदासे यह चाहते आये है कि धर्म-तत्त्वोंका ज्ञान जनसाधारणतक पहुँचे, मामूली बुद्धिका व्यक्ति भी धर्मके मूल रहस्यों तथा ईश्वरकी असीम शक्तियोंसे परिचित हो जाय और अपनी श्रद्धाके अनुसार भगवान्के जिस रूपको पसंद करे, उसीको अपना आराध्य बनाकर पूजा-अर्चना करे और इस प्रकार जीवनको ऊँचा उठाये।

ईश्वर निराकार है, पाञ्चभौतिक आकारसे रहित है। उस स्वरूपका ज्ञान योगी-ऋषि-मुनि अपनी कुशाग्र बुद्धिसे कर सकते है। योगी चिन्तनद्वारा ईश्वरकी दिव्य शक्तियोंसे परिचित हो सकते हैं। साधु-महात्मा अपनी प्रतिभासे अपने गुण-कर्मके अनुसार ईश्वरीय शक्तियोंका ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। मूलतः ईश्वर एक है, पर उसकी अनेक शक्तियों हैं। उसी ईश्वरकी एक शक्ति इस संसारका निर्माण करती है, दूसरी भोजन-अन्न-जलद्वारा पालन करती है, तीसरी सृष्टिको नष्ट कर देती है। ये नाना शक्तियाँ ही हमारे तैंतीस करोड़ देवी-देवता हैं। प्रत्येक देवी-देवता एक मुख्य शक्तिका प्रतीक अथवा मूर्तरूप है। यों किसी साधारण व्यक्तिको एक अदृश्य शक्तिका ज्ञान कराना बड़ा कठिन है। उसकी कल्पना इतनी तीव्र नहीं होती कि उस शक्तिको ग्रहण कर सके। अतः हिंदू तत्त्ववेत्ताओंने प्रतीकवादका यह नया वैज्ञानिक रूप निकाला था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. निवेदन
  2. आपकी विचारधारा की सही दिशा यह है
  3. हित-प्रेरक संकल्प
  4. सुख और स्वास्थ के लिये धन अनिवार्य नहीं है
  5. रुपये से क्या मिलता है और क्या नहीं
  6. चिन्ता एक मूर्खतापूर्वक आदत
  7. जीवन का यह सूनापन!
  8. नये ढंग से जीवन व्यतीत कीजिये
  9. अवकाश-प्राप्त जीवन भी दिलचस्प बन सकता है
  10. जीवन मृदु कैसे बने?
  11. मानव-हृदय में सत्-असत् का यह अनवरत युद्ध
  12. अपने विवेकको जागरूक रखिये
  13. कौन-सा मार्ग ग्रहण करें?
  14. बेईमानी एक मूर्खता है
  15. डायरी लिखने से दोष दूर होते हैं
  16. भगवदर्पण करें
  17. प्रायश्चित्त कैसे करें?
  18. हिंदू गृहस्थ के लिये पाँच महायज्ञ
  19. मनुष्यत्व को जीवित रखनेका उपाय-अर्थशौच
  20. पाठ का दैवी प्रभाव
  21. भूल को स्वीकार करने से पाप-नाश
  22. दूसरों की भूलें देखने की प्रवृत्ति
  23. एक मानसिक व्यथा-निराकरण के उपाय
  24. सुख किसमें है?
  25. कामभाव का कल्याणकारी प्रकाश
  26. समस्त उलझनों का एक हल
  27. असीम शक्तियोंकी प्रतीक हमारी ये देवमूर्तियाँ
  28. हिंदू-देवताओंके विचित्र वाहन, देश और चरित्र
  29. भोजनकी सात्त्विकता से मनकी पवित्रता आती है!
  30. भोजन का आध्यात्मिक उद्देश्य
  31. सात्त्विक आहार क्या है?
  32. मन को विकृत करनेवाला राजसी आहार क्या है?
  33. तामसी आहार क्या है?
  34. स्थायी सुख की प्राप्ति
  35. मध्यवर्ग सुख से दूर
  36. इन वस्तुओं में केवल सुखाभास है
  37. जीवन का स्थायी सुख
  38. आन्तरिक सुख
  39. सन्तोषामृत पिया करें
  40. प्राप्त का आदर करना सीखिये
  41. ज्ञान के नेत्र
  42. शान्ति की गोद में
  43. शान्ति आन्तरिक है
  44. सबसे बड़ा पुण्य-परमार्थ
  45. आत्मनिर्माण कैसे हो?
  46. परमार्थ के पथपर
  47. सदुपदेशों को ध्यानपूर्वक सुनिये
  48. गुप्त सामर्थ्य
  49. आनन्द प्राप्त करनेके अचूक उपाय
  50. अपने दिव्य सामर्थ्यों को विकसित कीजिये
  51. पाप से छूटने के उपाय
  52. पापसे कैसे बचें?
  53. पापों के प्रतीकार के लिये झींके नहीं, सत्कर्म करे!
  54. जीवन का सर्वोपरि लाभ
  55. वैराग्यपूर्ण स्थिति
  56. अपने-आपको आत्मा मानिये
  57. ईश्वरत्व बोलता है
  58. सुखद भविष्य में विश्वास करें
  59. मृत्यु का सौन्दर्य

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai